Intermediate Exam Questions इंटरमीडिएट परीक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में।
1. (i) वसंत ऋतु – देखें वर्ष-2012
प्रश्न सं०-1 (ग) का उत्तर
(ii) हिन्दी में हम हर वर्ष 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। मातृभाषा होने के साथ-साथ यह देश की ज्यादातर आबादी की बोल-चाल की भाषा भी है। एक अनुमान के अनुसार देश में करीब 65 करोड़ लोग हिन्दी भाषी हैं और विश्व भर में हिन्दी जानने वालों की तादाद 5 करोड़ लोग हिन्दी भाषी हैं और विश्व भर में हिन्दी जानने वालों की तादाद 5 करोड़ से अधिक है। यही कारण है कि हिन्दी का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। आज इलैक्ट्रॉनिक चैनलों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में हिन्दी नजर आता है ।
ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन के आंकड़ों के अनुसार हिन्दी और पत्रिकाओं की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। डिजीटलीकरण के युग में अनेक वेब पोर्टल भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं आज लगभग सभी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के डिजीटल संस्करण उपलब्ध हैं और पाठक देश-विदेश के किसी भी कोने में बैठकर अपनी पसंद के विषय का समाचार पढ़ सकता है।
इंटरनेट युग में हिन्दी का तेजी से विकास हुआ है और भारत के अलावा विश्व भर के 40 से अधिक देशों में 600 से अधिक विद्यालयों महाविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई और सिखाई जाती है लेकिन यदि दक्षिण भारत की बात करें तो राजनीतिक कारणों से यहाँ हिन्दी का लगातार विरोध किया जाता रहा है।
जबकि वहाँ की जनता को वास्तविकता समझनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि हिन्दी का विरोध करके वो देश की लगभग 65 करोड़ आबादी से अपने आपको अलग-अलग कर रहे हैं। हिन्दी आज विश्व स्तरीय भाषा बनती जा रही है और यही कारण है कि हिन्दी के पक्ष में एक बड़ा वर्ग और बाजार खड़ा हुआ है। हिन्दी के प्रति लेखकों प्रकाशकों और पाठकों का झुकाव निरन्तर बढ़ रहा है और यह हिन्दीभाषी वर्ग के लिए गर्व की बात हैं। हिन्दी सिर्फ भारत में ही नहीं बोली जाती विदेशों-गुयाना, सूरीनाम, त्रिनीनाद, फिजी, मॉरिशस, दक्षिण अफ्रीका और सिंगापुर में भी यह अधिकांश लोगों की बोलचाल का भाषा है। जर्मन के स्कूलों में तो हिन्दी पढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय ने जर्मन सरकार से समझौता किया है और वहाँ पर जर्मन हिन्दी रेडियो सेवा संचालित है ।
(iii) पर्यावरण-संरक्षण- देखें वर्ष-2011, प्रश्न सं०-3 (क) का उत्तर (iv) शिक्षित बेरोजगारी की समस्या देखें वर्ष-2011 प्रश्न सं०-3 (ग) का उत्तर
(v) ग्राम पंचायत – ग्राम पंचायत हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले ऐसे पांच लोगों का समूह हैं जो लोगों द्वारा चुने जाते हैं और जिन्हें लोग पंच कहते हैं ये पंच लोग मिलकर ग्राम की पंचायत बनाते हैं और ग्राम के विकास और किसी भी तरह की ग्रामीण समस्या को हल करने की जिम्मेदारी इस ग्राम पंचायत की होती है दरअसल गाँव के व्यस्क लोग मिलकर ग्राम सभा रखते हैं और इस ग्राम सभा के लोग ही नई पंचों का चयन करते हैं और फिर पंचायत बन जाती है ग्रामके विकास के लिए बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इन ग्राम पंचायतों में एक मुखिया भी होता है और इसका चुनाव 5 वर्ष में होता है।
आज हम देखें तो स्वतंत्रता के बाद बहुत सारे बदलाव देखने को मिले हैं स्वतंत्रता के बाद इस तरह की पंचायत वाली प्रणाली से हर किसी को लाभ भी मिला है क्योंकि किसी भी तरह की ग्रामीण समस्या का हल पंच मिलकर करते हैं गांव अगर पानी की समस्या हैं तो पानी की समस्या को निपटाने के कार्य भी ग्राम पंचायत करती है। बहते हुए पानी को किस मार्ग से निकाला जाए पानी का निकासी द्वार बनाने की योजना भी ग्राम पंचायत बनाती है और उसका प्रबंध भी करती है तालाब, नालो आदि का निर्माण भी ग्राम पंचायत करवाती है।
गांव मी सड़कें और उनका नया निर्माण भी ग्राम पंचायतों के हाथ में होता है आजकल हम देखें तो विभिन्न प्रकार की बीमारियां हमारे समाज में फैल रही है इस वजह से स्वच्छता रखना बहुत जरूरी है और स्वच्छता रखने का कार्य भी ग्राम पंचायतों का भी होता है। ग्राम पंचायते अपने गांव को स्वच्छ रखने के लिए बहुत कुछ प्रयास करती हैं यह ग्राम पंचायते बच्चों और नौजवानों के लिए खेल के मैदानों का प्रबंध करती है और यहाँ तक कि समय-समय पर वृक्षारोपन भी ग्राम पंचायत करवाती है क्योंकि पेड़ पौधे हमारे देश के वातावरण के लिए हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। ग्राम पंचायत पेड़ लगाने का कार्य करवाती है यहां तक कि किसी भी तरह के विवाद को निपटाने के लिए भी ग्राम पंचायत मदद करती है।
आजकल देखा जाता है कि बहुत से ऐसे गांव हैं जहां से शहरी इलाका बहुत दूर है यह कह सकते हैं कि पुलिस स्टेशन बहुत दूर होता है जिस वजह से अगर ग्रामीणों में कोई भी घटना घटित होती तो बहुत देर में समस्या का निपटारा होता है जिस वजह से गांव की पंचायत इसमें महत्वपूर्ण निभाती है किसी भी तरह के झगड़े चोरी, डकैती करने वाले लोगों के खिलाफ एक्शन लेती है और उसे सजा भी देती है जिससे वह व्यक्ति दोबारा इस तरह के कर्म न करें।
(vi) मेरे प्रिय कवि – देखें वर्ष 2014 प्रश्न सं०-4 (ग) का उत्तर
2. (क) देखें वर्ष-2015, प्रश्न सं-5 (ख) का उत्तर
(ख) व्याख्या – (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ महान समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ शीर्षक भाषण से ली गई है। इन पंक्तियों में जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के दुश्मनों का वर्णन किया है। जयप्रकाश तत्कालीन सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए यह बातें कहते हैं। प्रसंग यह है कि एक पुलिस के उच्चाधिकारी ने कहा कि नाम लेना यहाँ ठीक नहीं होगा कि मैंने दीक्षितजी के मुँह से सुना है कि ‘जयप्रकाश नारायण’ नहीं होते तो बिहार जल गया होता। तब जयप्रकाश नारायण यह सोचते हैं कि यह सारा जयप्रकाश के लिए क्यों होता है? उनके नेतृत्व में यह प्रदर्शन और यह सभा होनेवाली है, क्यों लोगों को रोकने हैं आप ? जनता से घबराते हैं आप ? जनता के आप प्रतिनिधि हैं? किसकी तरफ से शासन करते बैठे हैं आप ? आपकी हिम्मत की घटना आने से लोगों को रोक लें आप ? यहाँ लोकतंत्र है और लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को शान्पूिर्ण सभा करने का अधिकार है। यदि सरकार यह सब करने से रोकती है तो वह सरकार के निकम्मेपन और नीचता का प्रतीक है।