Bhu Aadhaar Card Start : अब जमीन का बन रहा आधार कार्ड अब कोई नहीं हड़पेगा आपका जमीन ।

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Bhu Aadhaar Card Start : अब जमीन का बन रहा आधार कार्ड अब कोई नहीं हड़पेगा आपका जमीन ।

पूरे देश भर में जिस तरह से सभी नागरिकों के लिए आधार कार्ड जरूरी एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है जिसके कारण आज के समय में सभी कामों को आसान एवं डिजिटाइजेशन कर दिया गया है इस तरह ही सभी नागरिकों को जमीनों का विशेष पहचान मिलेगी इसके लिए भूमि का आधार कार्ड नाम दिया गया है जमीन का डिटेल एजुकेशन के तहत आम बजट में इसे प्रतिस्थापित भी किया गया है और इसे 3 साल में पूरा कर लिया जाएगा चलिए जानते हैं कैसे बनेगा इससे क्या-क्या फायदे होंगे पूरी जानकारी ।

आधार कार्ड आने के बाद हमारे देश भर में फ्रॉड से बचाव एवं कई कामों को आसान किया गया हमारे देश भर में यह क्रांतिकारी बहुत बड़ा बदलाव किया गया उसे तरह से ही नवी जमीन का विवाद कई राज्यों में देखा जा रहा है इससे निपटने के लिए जमीन का आधार कार्ड बनाया जाएगा यानी जमीन से आधार कार्ड को लिंक किया जाएगा जिससे पूरे देश भर में एक बड़ा काम क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेगा और लोगों को काफी ज्यादा राहत मिलेगी ।

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जमीन का बनेगा आधार कार्ड इस तरह

दरअसल ग्रामीण एवं शहरी छात्रों में भूमि को लेकर सरकार ने बजट 23 जुलाई को बड़े कदम उठाया गया इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं विशिष्ट पहचान संख्या या कहें भू-आधार का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा शहर में भूमि को डिजिटलकरण का भी प्रस्ताव रखा गया है सरकार अगले 3 साल में पूरा करने को लक्ष्य रखा गया है भू आधार से जमीन से जुड़े विवादों को खत्म एवं मालिकाना हक स्पष्ट करने के लिए कदम उठाया गया है जिससे लोगों में लड़ाई झगड़ा एवं मलिक आना हक स्पष्ट रहेगा ।

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भू-आधार के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जितनी भी भूमि है। उसे 14 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या मिलेगी। इसे भू आधार (ULPIN) के नाम से पहचाना जाता है। इस प्रक्रिया में भूमि की पहचान संख्या के साथ उसका मानचित्रण, सर्वे, मालिकाना और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इससे कृषि लोन मिलने में आसानी हो जाएगी। इसके अलावा उनको दूसरी कृषि सुविधाएं भी आसानी से मिल सकेंगी। वहीं शहरी क्षेत्रों में जो जमीने हैं, उनके भूमि अभिलेखों (Records) को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा।

ऐसे काम करता है भू-आधार

इसमें पहले जीपीएस तकनीक की मदद लेकर जमीन का जियोटैग किया जाता है। इसके बाद सर्वेक्षण करने वाले भूमि की सीमा का भौतिक सत्यापन और माप करते हैं। यह करने के बाद जो रिकॉर्ड एकत्रित किया जाता है। उसको भूमि रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम में दाखिल किया जाता है। इसके बाद सिस्टम अपने आप भू-खंड के लिए 14 अंकों का भू-आधार संख्या तैयार करता है। यह भू-आधार संख्या डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ा होता है।

Dhananjay Kumar  के बारे में
Dhananjay Kumar I Am Dhananjay Kumar. I'm a blogger and content creator at https://technicalranjay.co/. I have experience in various fields including government jobs updates, government schemes, latest news updates, tech trends, and current events in different fields including sports, gaming, politics, government policies, finance, etc. Read More
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